Thursday, 26 April 2018


गर्मियों में भी नहीं घटेगा दुग्ध उत्पादन

एनडीआरआइ के वैज्ञानिकों की शोध ने जगाई उम्मीद
दुधारू पशुओं के प्रोटीन का प्रबंधन करने के कारगर उपाय 


यह खुशखबरी है। अब गर्मी के मौसम का दूध उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। वैज्ञानिक शोधों में इस दिशा में उत्साहजनक परिणाम आए हैं। इन दिनों दूध का उत्पादन औसतन 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है। पशुओं में पाए जाने वाले खास प्रकार के प्रोटीन इसके मुख्य कारक हैं।
एनडीआरआइ (राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र कुमार बताते हैं कि तापमान के 48 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंचते ही पशु के मार्कर सेल डैमेज होने शुरू हो जाते हैं। इसे बचाने के लिए प्रोटीन अपनी सक्रियता बढ़ा देते हैं। यही प्रोटीन दूध बनाने में कारक होते हैं। लिहाजा इसका असर पशु के दूध पर पड़ता है। इन दिनों नेशनल इनोवेशन ऑन क्लाइमेट रिसिलीएंट एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट (निकरा) के तहत थारपारकर व संकर नस्ल की गायों व भैंसों पर शोध हो रहा है। इन पशुओं में 547 प्रकार के प्रोटीन मिले हैं। इनमें 106 प्रोटीन की पहचान हुई है जो गर्मी में पशुओं को संवेदनशील बना देते हैं और दूध की कमी का वजह बनते हैं। इसका सीधा संबंध पशुपालक की आय से है। एक भैंस से प्रतिवर्ष पशुपालक को 50 हजार रुपये तक का नुकसान हो जाता है।

इस तरह बचाव संभव
वैज्ञानिकों के मुताबिक कुछ जरूरी उपाय कर दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सकता है। इसके लिए पशु की खुराक में बदलाव करने होंगे। एनर्जी ज्यादा मिले इसके लिए प्री फैट देने होंगे। ज्यादा से ज्यादा हरा चारा दिया जाए और यदि यह संभव न हो तो माइक्रोन्यूट्रेंट, विटामिन ई, जिंक व कॉपर युक्त मिक्चर बनाकर इस्तेमाल हो। पशुशाला में भी बदलाव करके उसे खुली और हवादार बनानी होगी। पशुओं के लिए पीने का साफ पानी और छत पर घासफूंस रख उसे ठंडा रखना उपयोगी है।

तापमान झेलने में सक्षम
साहीवाल व थारपारकर

दुधारू पशुओं पर गर्मी के प्रभाव का अध्ययन कर रहे डॉ. महेंद्र और डॉ. अंजलि अग्रवाल बताते हैं कि थारपारकर व साहीवाल नस्लें 46 से 48 डिग्री तापमान में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हैं। संकर नस्ल की गाय पर 30 डिग्री से ऊपर तापमान जाते ही गर्मी का असर दिखने लगता है।

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 252 ग्राम

उत्तर प्रदेश 16.83 मिलियन टन प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन के साथ देशभर में पहले स्थान पर है। हरियाणा का स्थान आठवां है और प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 5.48 मिलियन टन है। देशभर में प्रति व्यक्ति 252 ग्राम दूध की उपलब्धता है। देसी गायों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने योजनाएं शुरू की हैं, जिसके परिणाम भी आए हैं। देसी गायों की तरफ भी पशुपालकों का रूझान पहले के मुकाबले बढ़ा है। फिलहाल 48.2 मिलियन देसी गाय दुधारू हैं जबकि 19.42 मिलियन गाय संकर नस्ल की हैं। देशभर में 163.7 मिलियन टन पर प्रतिदिन दूध उत्पादन होता है। इनमें 47.23 प्रतिशत गाय का है। भैंस का 40.10 प्रतिशत है। बकरी का 3.43 प्रतिशत है।
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तालिका
पशु (मिलियन) दुधारू (दुग्ध उत्पादन में भागीदारी (प्रतिशत)
गाय 190 67.62 47.23
भैंस 108 51.5 40.10


शोध के सकारात्मक परिणाम
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निकरा के प्रोजेक्ट पर करनाल के दो गांवों, दिलावरा और ढाकवाला में शोध चल रही है। 50 भैंसों और गायों पर हुए शोध में अभी तक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि जो अच्छे प्रोटीन हैं उनको और अच्छा कैसे किया जाए, ताकि पशुओं में उनको अच्छी तरह से विकसित कर दूध की मात्रा को मेंटेन रख सकें। --डॉ. महेंद्र कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, एनडीआरआइ, करनाल।