Wednesday, 24 September 2014

प्रवीणता सबसे बड़ी निधि


प्रवीणता सबसे बड़ी निधि

स्वामी दयानिधि जी आज नई ताजगी से भरपूर थे। एक दिनपूर्व सत्संग में उत्पन्न असहज स्थिति का उन पर कोई असर नहीं था। वे बोले, निधि मनुष्य को नए गुण से संपन्न बनाती है। यह हमें प्रवीण बनाती है। प्रवीण यानि स्किल्ड, निपुण, दक्ष, योग्य, काबिल, महारथी, हुनरमंद, फनककार आदि आदि। यह प्रवीणता हमें सभी का प्रिय बनाती है। वे बोले, योग्य व्यक्ति हमेशा योग्यता का सम्मान करता है, काबिल व्यक्ति को सिर-माथे पर चढ़ाता है, लेकिन अयोग्य लोग ईर्ष्या करते हैं। उन्हें सामने वालों की काबिलियत बर्दाश्त नहीं होती और वे तरह-तरह की साजिश करते हैं। मगर, विजय प्रवीण की ही होती है। इसलिए अपने काम में प्रवीणता हासिल करें। किसी काम को पूरे मनोयोग से करें, दिल से करें, उसमें पूरा जी-जान लगा दें। यह समझ लें कि उसे सर्वोत्तम ढंग से करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। वैसे, यह गुण व्यक्ति के स्वभाव में होता है। एक कार्य को ठीक से करने वाला व्यक्ति ही दूसरा काम भी अच्छे ढंग से कर पाता है। संजीदगी को अपने स्वभाव में लाएं और बच्चों में भी इसे विकसित करें। उन्हें बताएं कि प्रवीणता सबसे बड़ी निधि है, इसलिए हम प्रवीण बनें।



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