Friday, 25 September 2015

सराहनीय पहल

सराहनीय पहल


हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी किसी से छिपी नहीं है। सुदूर ग्र्रामीण क्षेत्र में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हों या पीजीआइ जैसे संस्थान, हर जगह चिकित्सक न होने की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में गृह जिलों में तैनाती की सुविधा देकर सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। हालांकि अभी इसके परिणाम की भविष्यवाणी करना कुछ जल्दबाजी होगी, लेकिन यह तो तय है कि सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाने वाले चिकित्सकों में यह भरोसा जगेगा कि उनकी सुनवाई हो रही है। सरकार की अपनी सीमाएं हैं। इसलिए वेतन आदि सुविधाओं में निजी क्षेत्र का मुकाबला करना उसके लिए आसान नहीं है। लेकिन सुरक्षित भविष्य जैसी सुविधाएं देकर वह चिकित्सकों को रोकने का प्रयास करती है, तो गलत नहीं है।
एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में पिछले एक साल में 52 डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ कर निजी अस्पतालों में जा चुके हैं। सबसे गंभीर स्थिति मेवात जैसे इलाकों की है। मेवात भत्ता बंद किए जाने से शहीद हसन खां मेवाती मेडिकल कालेज से 26 डॉक्टरों का पलायन चिंतनीय विषय है। पिछले दो महीने में मेडिकल कालेज छोडऩे वाले इन चिकित्सकों में नौ विशेषज्ञ शामिल हैं। आशंका है कि ऐसे डॉक्टरों की संख्या बढ़ सकती है और अगर ऐसा हुआ तो मेडिकल कालेज की मान्यता पर भी संकट आ सकता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात किस कदर गंभीर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि मौजूदा सरकार ने चिकित्सा सेवाओं में सुधार को प्राथमिकता में रखा है। वह लगातार इस पर कार्य कर रही है कि लोगों को समय पर समुचित और सस्ता इलाज उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जाए? अस्पतालों की लचर हो गई व्यवस्था सुधारने से लेकर वहां जरूरी साजो-सामान उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास हो रहे हैं। पूरी कोशिश है कि सरकारी अस्पतालों में लोगों को जरूरी इलाज मुहैया कराए जा सकें। प्रदेश के पांच जिलों में दस डायलिसिस मशीनें लगाने की घोषणा भी इसी के तहत है। दवाइयों की आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ ही मानव संसाधन के उचित प्रबंधन के उपाय किए जा रहे हैं। मगर, सबसे जरूरी योग्य और विशेषज्ञ चिकित्सकों को सरकारी अस्पतालों से जोडऩा है। पूर्व की सरकारों ने भी इस दिशा में प्रयास किए थे। अस्पतालों के प्रबंधन का कार्य के लिए अलग कैडर बनाने की योजना पर विचार भी हुआ था। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार चिकित्सकों की इस समस्या से पार पा लेगी।

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