देर आयद दुरुस्त आयद
पूरे प्रदेश को अपने खूनी पंजे में कस रहे डेंगू से निपटने की राज्य सरकार की कोशिश को देर आयद दुरुस्त आयद ही कहा जा सकता है। आखिर सरकार ने इसको लेकर हाई अलर्ट घोषित करने के बाद चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टॉफ की छुïिट्टयां रद करने का फैसला किया है। छुïट्टी पर गए लोगों को वापस बुलाया जा रहा है और निजी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे डेंगू प्रभावित मरीजों का समुचित इलाज करें और इसकी सूचना सरकार को उपलब्ध कराएं। यह अच्छी बात है कि मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों को भी क्षेत्र में जाने को कहा गया है। पंचकूला और गुडग़ांव में प्लेटलेट्स निकालने के लिए मशीन लगाने के फैसले की भी तारीफ की जानी चाहिए, लेकिन यह सब करने में लिया गया समय समझ से परे है। इस मामले में सरकार की सुस्ती हैरत में डालने वाली है। आखिर उसे डेंगू के खतरे का अनुमान लगाने में इतना समय कैसे लग गया? राज्य में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में हफ्तों से लग रही लंबी कतार किसी से छिपी नहीं है। ये वे लोग हैं जिन्हें डेंगू का खौफ सता रहा है। डेंगू है या नहीं, यह तब पता चलेगा जब जांच होगी और उसके नतीजे आएंगे, लेकिन इससे पहले उन्हें जिन स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है, वह कम शर्मनाक नहीं है। सरकारी अस्पताल अव्यवस्था के शिकार हैं। न तो पर्याप्त दवाइयां हैं न ही मरीजों के लिए बिस्तर। पीजीआइ जैसे संस्थान में मरीजों को जिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है, वह कम चिंताजनक नहीं है। दूसरी तरफ, निजी अस्पताल लोगों की मजबूरी का जमकर दोहन कर रहे हैं। बरसात के बाद होने वाले सामान्य बुखार का इलाज भी इस तरह किया जा रहा है, जैसे कोई असाध्य बीमारी हो गई हो। इसका मतलब यह नहीं कि डेंगू का प्रकोप कम है, लेकिन बचाव के तरीके बताने और इलाज की व्यवस्था करने के बजाय भय ज्यादा पैदा किया गया। इन हालात के लिए भी सरकार ही दोषी है। उसने इस बारे में न तो लोगों को जागरूक करने का समुचित प्रयास किया, न ही इलाज के पर्याप्त प्रबंध किए। वह जब जागी तब तक डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों की इससे मौत चुकी थी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले जिलों के हालात कुछ ज्यादा ही बिगड़ चुके हैं। राज्य के दूसरे इलाकों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस बार की गलतियों से सबक लेगी।(१८-०९-२०१५)
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