कितने पाकिस्तानी हैं हरियाणा के मुख्यमंत्री
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पाकिस्तानी कहना बेहद आपत्तिजनक और अनुचित है। जाट आरक्षण के लिए आंदोलनरत पूर्व सैनिक हवा सिंह सांगवान आखिर कैसे कह सकते हैं कि पाकिस्तान से आए ङ्क्षहदू और पंजाबी पाकिस्तानी मूल के भारतीय नागरिक हैं। इस वक्तव्य की जिस तरह चारों तरफ निंदा हुई है, उससे स्पष्ट है कि यहां के लोग सामाजिक समरसता पर आंच नहीं आने देना चाहते और सांगवान जैसे लोगों के विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते। सबसे अच्छी बात है कि अभी तक सभी पक्षों ने पूरा संयम और गंभीरता का परिचय दिया है। सत्तारूढ़ दल ने सधी हुई आपत्ति जताई तो विपक्षी दलों ने भी किसी तरह की उत्तेजना से बचते हुए इसकी कड़ी भत्र्सना की है। विचारधारा को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन समाज को बांटने के प्रयासों को कोई भी दल कैसे बर्दाश्त कर सकता है? यही कारण था कि सभी नेताओं ने एक स्वर में सांगवान को न केवल कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि इससे बाज आने की नसीहत भी दी है। हां, देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान से आए लोगों को इस विवाद से गहरा धक्का जरूर लगा है। यह स्वाभाविक भी है। आखिर उन्हें पाकिस्तानी कैसे कहा जा सकता है? अपना सबकुछ छोड़कर यहां आने के बाद जिस तरह उन्होंने नई जिंदगी शुरू की, वह अन्य के लिए प्रतिमान है। उनकी जीवटता, परिश्रम और हौसले के साथ बुद्धिमानी की सभी दाद देते हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है। दरअसल देखा जाए तो सांगवान का बयान जाट आरक्षण पर मौजूदा सरकार के रुख से उपजी खीझ का नतीजा है। सर्वोच्च न्यायालय से आरक्षण की सुविधा रद कर दिए जाने के बाद भी जाट समुदाय को उम्मीद थी कि सत्ता प्रतिष्ठान कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा और उनके हित पर आंच नहीं आएगी। ऐसा होता न देख जिस तरह जाट नेताओं द्वारा बार-बार आंदोलन की धमकी और आरक्षण के लिए कुछ भी कर गुजरने का एलान किया जा रहा था, उसमें सरकार ज्यादा दिन चुप नहीं रह सकती थी। यही कारण था कि मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि लाठी से कोई चीज हासिल नहीं की जा सकती। इसमें कुछ भी गलत नहीं था, लेकिन कुछ लोगों ने मान लिया कि उन्हें चुनौती दी जा रही है। चिंतनीय है कि चौतरफा आलोचना से सबक लेने के बजाय अब जाट मुख्यमंत्री का मुद्दा उठाया जा रहा है। बेहतर होगा कि भावनाएं भड़काने के इन प्रयासों के खिलाफ जाट समुदाय ही आगे आए।(28-09-2015)
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